2005 मे मनमोहन सिंह doctorate की डिग्री लेने ox ford यूनिवर्सिटी गए ! वह समारोह पूरी दुनिया मे live चल रहा था वहाँ उन्होने बहुत ही तकलीफ देने वाला भाषण दिया

2005 मे मनमोहन सिंह doctorate की डिग्री लेने ox ford यूनिवर्सिटी गए ! वह समारोह पूरी दुनिया मे live चल रहा था वहाँ उन्होने बहुत ही तकलीफ देने वाला भाषण दिया 
जो किसी भी स्वाभिमानी भारतीय को नीचा दिखा सके !
उन्होने भाषण की शुरुवात ही ऐसे करी !
हम अंग्रेज़ो के बहुत ही आभरी है की उन्होने भारत मे आकर अपनी सरकार बनाई !
हम अंग्रेज़ो के बहुत आभारी है जो उन्होने आकर भारत मे शिक्षा व्यवस्था दी !
हम अंग्रेज़ो के बहुत आभारी है जो उन्होने यहाँ आकर न्याय व्यवस्था स्थापित करी !
हम अंग्रेज़ो के बहुत आभारी है जो उन्होने भारतीय लोगो को विज्ञान सिखाया !
हम अंगेजों के बहुत आभारी है जो उन्होने हमे विज्ञान और तकनीकी का अंतर समझाया !
हम अंग्रेज़ो के बहुत आभारी है जो उन्होने अँग्रेजी भाषा हमको बताई !
और ऐसा ही वो 40 मिनट तक बोलते रहे !
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अगले दिन क्या हुआ लंदन के सभी अखबरों मे मनमोहन सिंह का ये वक्तव्य छपा ! और इस वक्तव्य के साथ सभी समाचार पत्रो मे संपादकीय टिपणी भी छपी और ज़्यादातर संपादकीय टिपनियों मे ये छपा की हमारे देश इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टल चर्चिल ने 1945 मे ये कह दिया था की ये देश आजाद होने लायक देश नहीं है !
और भारत के प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह कल लंदन मे व्याख्यान देकर ये सिद्ध कर दिया कि भारत आजादी के इतने साल बाद भी अभी मानसिक रूप से गुलाम है ! जिस देश का प्रधानमंत्री अभी भी अंग्रेज़ो के गुणगाण करता हो उस देश की जनता की मानसिक गुलामी की स्थिति क्या होगी उसका अंदाजा हम लगा सकते हैं ऐसी खूब लंबी संपादकीय टिपणी उसमे की !!
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राजीव भाई के कुछ मित्रो ने ये अलग अलग समपादकीय टिप्पणिया काट कर राजीव भाई को भेजी ! उसके बाद राजीव भाई ने डाक्टर मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा जो लगभग 250 पेज का था वो पत्र नहीं एक किताब हो गई !
राजीव भाई ने लिखा की हमे बड़ी शर्म आती है की आप भारत के प्रधानमंत्री है जो भारत के बारे मे कुछ नहीं जानते !
हमे शर्म आती है की आप भारत के ऐसे प्रधानमंत्री जिनहोने भारतीयता के बारे मे कुछ भी समझने की कोशिश नहीं की है !
भारत अंग्रेज़ो के पहले कैसा था ??
भारत की शिक्षा अंग्रेज़ो के पहले कैसी थी ??
भारत की तकनीकी और विज्ञान अंग्रेज़ो के पहले कैसा था ?
हमारा भारत अंग्रेज़ो के पहले उद्योग और व्यापार मे किस स्थान पर टिका हुआ था !
ये सब बातें आप दस्तावेजो के आधार पर समझे और जाने तो बहुत अच्छा होगा आप अगली बार ऐसा गुलामी का वक्तव्य देने से बचेगे !
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ये पत्र मनमोहन सिंह के कार्यालय मे पहुंचा और इतना जवाब आया आपका पत्र मिला हम इसे कार्यवाही के लिए भेजेंगे अब कहाँ भेजेंगे कार्यवाही को ? राजीव भाई ने तो पत्र मनमोहन सिंह को लिखा था और पत्र तो एक पन्ने का था बाकी 249 पन्ने के तो दस्तावेज़ थे ! जो मनमोहन सिंह को इसलिए भेजा गया था की आप देखें की अंग्रेज़ो के आने से पहले का भारत कैसा था शिक्षा व्यवस्था के सतर पर, उद्द्योग और व्यापार के सतर ,विज्ञान और तकनीकी के सतर पर ! चिकित्सा व्यवस्था के सतर पर जहां तक भी संभव हो उसमे सब जानकारी राजीव भाई ने दी !!
उसमे एक हिस्से की जानकारी की भारत की शिक्षा व्यवस्था अंग्रेज़ो के पहले कैसी थी ?? कितनी मजबूत थी ? और अंग्रेज़ो ने इसे कैसे तोड़ा वो सब राजीव भाई इस व्याख्यान मे बताएँगे ! मित्रो एक बार जरूर जरूर सुने अधिक से अधिक share करें !!

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